Aaj Kee Baat !!!

उम्र भर दर्द के रिश्तों को निभाने से रहा, ज़िंदगी मैं तो तेरे नाज़ उठाने से रहा
जब भी देखा तो किनारों पे तड़पता देखा, ये समंदर तो मेरी प्यास बुझाने से रहा
बस यही सोच कर सर अपना क़लम कर डाला,अब वो इल्ज़ाम मिरे सर तो लगाने से रहा
बस यही सोच कर उससे खफा हो गया, वोह मेरे ज़ख्म समझने से रहा !
इस ज़माने में जहालत से गुज़र होती है,अब हुनर से तो कोई उम्र बीताने को रहा
हम ही तरकीब करें कोई उजालों के लिए, अब अँधेरा तो चराग़ों को जलाने से रहा
सबकी नफरत के बावजूद मुस्करा लेता हूँ, इससे ज्यादा तकदीर कमाने से रहा !

Comments