Filhaal...

निकले थे दोनों खूब यूँ भेस बदल कर ....मैं ढूंढता अपने अक्स को रहा और मेरी तनहाइयाँ मुझे ......

हष्र के रोज खुदा से एक अदद सवाल होगा .....तुने रोका क्यूँ नहीं मुझे उस गुनाह से पहले ......

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