An Ode to the Interrupted Soul

तुमने भी ठुकरा ही दिया है, दुनिया से भी दूर हुए
अपनी अना के सारे शीशे, आखिर चकना-चूर हुए

हमने जिन पर ग़ज़लें सोची,उनको चाहा लोगों ने
हम कितने बदनाम हुए थे,वो कितने मशहूर हुए

तर्क-इ-वफ़ा की सारी कसमें,उनको देख के टूट गई
उनका नाज़ सलामत ठहरा,हम ही ज़रा मजबूर हुए

एक घडी तो रुक कर पुछा,उसने तो अहवाल मगर
बाकी उम्र ना मुड कर देखा, वो ऐसे मगरूर हुए........

Monday , June 25th, 2012...

Comments