ग़म उठाऊंगा तो फिर से संभल जाऊँगा ...मैं तेरी ज़ुल्फ़ नहीं हूँ जो बिखर जाऊँगा ....
जो भी देना है वोह बिन मांगे ही दे दे मुझको ...हाथ फैलाया तो अपनी नज़रों से उतर जाऊँगा ....
मौत आती है है तो आ जाए मेरा क्या लेगी ...मैं तो खुशबू हूँ फिजाओं में बिखर जाऊँगा ....
जो भी देना है वोह बिन मांगे ही दे दे मुझको ...हाथ फैलाया तो अपनी नज़रों से उतर जाऊँगा ....
मौत आती है है तो आ जाए मेरा क्या लेगी ...मैं तो खुशबू हूँ फिजाओं में बिखर जाऊँगा ....
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