Roz...


रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या,फैसला ठीक है निभायें क्या!
अश्क़ झूठे हैं,ग़म भी झूठा है,बज़्मेमातम में मुस्कुरायें क्या!
ख़ाक कर दें जला के महफ़िल को,तेरे बाजू में बैठ जायें क्या!

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