Some Tweets worth collecting ...

Kuch log yuhin sheher mein hamse bhee khafa hai, her ek se apni bhee tabiyat nahin मिलती...
Dard ke phool bhi khilte hain bikhar jate hain/zakham kaise bhi hon kuchh roz mein bhar jate hain.
मुझे इश्तेहार सी लगती है , यह मोहब्बतों की कहानियां ......जो कहा नहीं वोह सुना करो , जो सुना नहीं वोह कहा करो..............
आपका साथ गर नहीं होता ...खूबसूरत सफर नहीं होता ..सिर्फ हैवानियत ही रह जाती ....जज्बा इ इश्क गर नहीं होता ....
ज़हर वेख के पीता,ते की पीता,इश्क सोच के कीता,ते की कीता ,.दिल दे के दिल लेन दी आस राखी वे बुल्लेया,.प्यार वी लालच नाल कीता ,ते की कीता
Raahat-e-bekhalish agar mil bhi gayi to kya mazaa.... Talkhi-e-gham bhi chaahiye baadaa-e-khush-gawaar mein.....
An army of sheep led by a lion would defeat an army of lions led by a sheep.
लोग यादों के धागे सीने की कोशिश करते हैं, फिर से उन लम्हों को फिर जीने की कोशिश करते हैं...बार बार वही नगमे सुना करते हैं ...
नाम होते हैं रिश्तों के....,कुछ रिश्ते नाम के होते हैं.... रिश्ता वह अगर मर जाये भी,बस नाम से जीना होता है....
Ghar ki talaash mein iss sheher aaya tha. Chaar deewaren toh mili, par qaid ho gaya
Kuch but taraashe hain maine, kuch tod diye hain. Har roz mujhe naye naye bhagwaan milte hain.
रस्ते पे उम्र की, मेरा पाँव फिसल गया ...एक और साल फिर मेरे हाथों निकल गया...
शहर वही है ...जो रौनक थी अब भीड़ सी लगती है ....
तू दिल पे बोझ लेके मुलाक़ात को न आ, मिलना है इस तरह तो बिछड़ना क़ुबूल है...
The objective of life is to identify ego and conquer it...
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी
और क्या कहूं?मौत का तमाशा, चला है बेतहाशा जीने की फुरसत नहीं है यहाँ आपकीWho does not understand a look, cannot understand long explanations. दुआ से बाक़ी ठीक-ठाक है हाल-चाल ठीक-ठाक है
Only a friend can become an enemy. A relative is one from the start....
मसला मेरी सोच का है,खवाब में था के कोई सवाल न हो,देखा नहीं शायद के लड़कपन से तो कटघरे में था..किसी की कोई खता नहीं,कटघरे की फितरत ही...
अपने आईने में आज अपना अक्स नहीं दिखता....अब तो नींद में भी कोई ख्वाब नहीं दिखता ....
उम्मीद के सिरे हैं सिर्फ ख़्वाबों में,सब की मुस्कराहट भी अब अजनबी सी लगती है इतने अरसे से हैं अंगारे हाथों में अब वोह भी गुदगुदी सी लगती है
The whole world is about three drinks behind.
कुछ उस को भी अज़ीज़ हैं अपने सब उसूल, कुछ हम भी इत्तेफाक से जिद्द के मरीज़......
उम्र भर फ़राज़ यही भूल करता रहा , धुल चेहरे पे थी और आइना साफ़ करता रहा .....
बेतकल्लुफ हैं बड़ी तन्हाई मेरी ...कुछ मरासिम भी पुराने हैं ...बेधड़क चली आती है , यह मंज़र जाने पहचाने हैं ...
यादें जिन्हें कहते हैं ,, Ashtray की मानिंद हैं..देखने वाले के लिए गर्द ...संभालें वाले के लिए लम्हे ..
कितनी गिरहें खोली हैं मैने, कितनी गिरहें अब बाकी हैं....कितने मंज़र देखे हैं मैंने ...कुछ जज़्बात अभी भी बाकी हैं ....
कहने वालों का कुछ नहीं जाता, सहने वाले कमाल करते हैं,कौन ढूंढे जवाब ज़ख्मों के लोग तो बस सवाल करते हैं!
Raaste kahan hote hai zindagi ke safar me manzil to wahin hai jahan khwahishein tham jaaye..
मैं छाओं में कैसे कर लूं कयाम अभी ...धूप से लेना है बहुत इन्तेकाम अभी ...
Mujhko Tha Yeh gumaan mujhee mein hai ana, dekhi teri ana toh mujhe sochna para...
My take on Surf ..घाव अच्छे हैं ...यह ख्वाबों की हकीकत बताते हैं ....दाग अच्छे हैं...साफ़ शफाक कोई नहीं यह याद दिलाते हैं ...
मुस्कराता फिरता रहा उम्र भर यूँ जैसे कोई ग़म ना था, ज़िन्दगी यूँ हाथ से फिसली, तो पता चला ...न कोई मजिल थी , ना कोई रकीब था.....
वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए,शक्‍ल आपके भी ज़हन में होगी कोई,कभी बन जाएगी तसवीर बनाते रहिए....
आज मैंने अपना फिर सौदा किया और फिर मैं दूर से देखा किया.हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी खैर.... तुमने जो किया अच्‍छा किया....
ख़ुशी मेरी तलाश में यूँ ही फिरती रही.. कभी उसे मेरा घर ना मिला, कभी उसे हम घर में ना मिले ..
Jisay log kehte hain Zindagi, sirf hadsoN ka hajoom hai. Yeh to kahiye mera hee Kamaal tha jo darmiyaan se guzar gaya....
तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है
बरसों की रस्म ओ राह थी,एक रोज़ उसने तोड़ दी,होशियार हम भी कम नहीं,उम्मीद हमने छोड़ दी! उसने कहा कैसे हो तुम,बस मैंने लब खोले ही थे और बात दुनिया की तरफ जल्दी से उसने मोड़ दी..
दुनिया में हूँ लेकिन दुनिया का तलबगार नहीं हूँ, बाज़ार से गुज़रा हूँ फिर भी खरीदार नहीं हूँ....
जो भी देना है वोह बिन मांगे ही दे दे मुझको ...हाथ फैलाया तो अपनी नज़रों से उतर जाऊँगा ...
Khud apne liye baithh ke sochenge kisi din ~ Yun hai ke tujhe bhool ke dekhenge kisi din ~
Kab se dhoondh reha khud ko, milta hi nahin hoon. Aisa lagta hai main chhipa nahin, laapata hoon.
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए,शुमार तो आप रहेंगे करीबी दोस्तों में,आशनाबनते यूँ दोस्त देखिये
Tamaam zulm hain, majburiyan hain,bandishen hain ..Kisi ko soch samjh kar bewafa kahna
Khuda Tujhey Kisi toofan se aashna kar de, key terey beher kee maujon mein Istiraab nahin...
दीवारे -इ खस्तगी हूँ , मुझे हाथ मत लगा ....मैं गिर पडूंगा देख ...सहारा ने दे मुझे ....
हमें खबर है खबीजों के हर ठिकाने की.....शरीक इ जुर्म ना होते तो मुखबरी करते....
दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूँ मैं....जिसको देखो ये कहता है तुझ-सा नहीं हूँ मैं....
वोह जो शख्स मुझ से पहले तख्तनशीं था ...उसे भी अपने खुदा होने पे, इतना ही यकीन था ...
जो किस्मत मैं है मेरी, उसका इंतज़ार नहीं.....हसरत उसकी है जो, मेरी औकात में नहीं है ... 
Chhotay se ghar mein thay dekhay khwab mahlon ke kabhi/ aur ab mehlon mein hain tto khwab mein ghar dekhiye.
Rishte khoon k nahi hote, rishte ehsas ke hote hai..Agar ehsas ho to ajnabi bhi apne aur agar ehsas na ho to apne bhi ajnabi hote hai..
मुझे इश्तेहार सी लगती है , यह मोहब्बतों की कहानियां ......जो कहा नहीं वोह सुना करो , जो सुना नहीं वोह कहा करो..............                

 

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