Aaj Raat....

कांच के ख्वाब थे ..खो गए पत्थरों  के नगर में कहीं ....

सोच ले मिला ही नहीं ...तू मुझे ढूंढना छोड़ दे ...

खुदबखुद नींद आ जायेगी ...बस मुझे बेवफा सोच ले ....

तेरी अश्कों के नमक का क़तरा ..ना जाने क्या क्या जला  दे ...

तेरी आखों से बादल गिर ना जाए कहीं  ....रातों को जागना छोड़ दे  ........

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