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मैं जब माहौल में तेरी कमी महसूस करता हूँ ...थकी आखों के पर्दों में नमी महसूस करता हूँ



जब किसी शाम अचानक बारिश होती है...तुम , ..चाय मे शक्कर सी घुल जाती हो



यूँ तो पहले भी हुए हैं उससे कई बार जुदा ....लेकिन अब के नज़र आते है ...आसार जुदा ...



ऐसे उदास होया न करो ...आंसूओं से काजल धोया न करो..तुम्ही कहती थी पीछे मत देखो..यादें पिरोया ना करो



आंसू को कभी ओस का कतरा न समझना ..ऐसा तुम्हे चाहत का समंदर ना मिलेगा ,यह सोच लो आखिरी उम्मीद है मोहब्बत , इस पर से हटोगे, तो सहारा ना मिलेगा



जज़्बात से ज्यादा ज़मीर ...ख्वाबों के ज्यादा हकीकत ...औकात में रहने की बचपन से तकलीफ है ...



मियां मै शेर हूं शेरों की गुर्राहट नहीं जाती....मैं लहजा नर्म भी कर लूं तो झुंझलाहट नहीं जाती....



ऊँचा बोल ना बोलिए ...दाती तुं दरिये ...मैं मैं बकरे नु मारदी .....मैं मैं ना करिए ....



आशना हो , इबादत हो , जूनून हो , यह हर लम्हा जता नहीं सकता जाना ,तेरी दूर से परस्तिश ही कर सकता हूँ , जानता हूँ खुदा को छु नहीं सकते जाना..



doondhta phirta hun ae Iqbaal apne aapko, aap hi goya musafir, aap hi manzil hoon mein ! – Iqbaal



न जाने कब खर्च हो गए,मुझे पता ही न चला/ वो लम्हें जो छुपा के रखे थे हमने जीने के लिए.....



अब अगर तुम मिले तो , इतना यकीं है , हंस देंगे हम तो , रोना नहीं है .......



Yun To Patthar Ki Taqdeer Bhi Badal Sakti Hai, Shart Ye Hai Usey Dil Se Tarasha Jaye.



मेरी आवाज़ पर्दा है मेरे चेहरे का, मैं हूँ खामोश जहाँ मुझे वहां से सुनिए....



कितने ही आसमान धुआं होते देख कर,मैं अपनी सतह से ऊपर नहीं गया,उसका खुलूस,उसकी वफ़ा,उसकी बेरुखी,मैं उसके घर के पास गया .. घर नहीं गया



वोह इस पे मुत्मईन के दस्तार बच गयी ...मुझको मलाल है के मेरा सर नहीं गया ....



The Bridge of Consciousness starts at the Ego end, lands at the selfless end, starts at a social end and lands in solitude......



दयार ए इश्क मैं अपना मक़ाम पैदा कर ...नया ज़माना.... नयी सुबह ए शाम पैदा कर ....



हाथों में महकता है तेरे चेहरे का एहसास.... माथे पे तेरे होठों की मोहर लगी है ...तू इतनी पास है की तुझे देखू कैसे



बहुत सादा है मेरे नक़्शे मेरे तारीख़ी खजाने के ..कुछ अपने गम हैं जाना ...और थोड़े से ज़माने के ...



ग़म उठाऊंगा तो कुछ और संभल जाऊँगा ...मैं तेरी ज़ुल्फ़ नहीं हूँ ..जो बिखर जाऊँगा ....



जो भी देना है बिन मांगे ही दे दे मुझको ....हाथ फैलाया तो नज़रो से भी गिर जाऊँगा ..



मौत आती है तो आ जाए ..मेरा क्या लेगी ...मैं तो खुशबु हूँ ...फिजाओं में बिखर जाऊँगा



सफ़र तवील था ..मेरा रफीक कोई ना था ..मेरा यह दुःख के दुखों में शरीक कोई ना था



माली दा कम पानी लाना...भर भर मश्का लाये ....मालक दा कम फ़ल फुल लाना...लाये या ना लाये ...



मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल हैं ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई ll ~ बशीर बद्र



आज तकदीर से एक दिन की दोस्ती कर ली ...अपनी माँ की आवाज़ फ़ोन पे सुन ली



आज हिम्मत को फिर उम्मीद का बाँध लगाया ....पापा को ख्यालों में ही गले लगाया



अब नींद भी मेरे दोस्तों में शामिल हो गयी ....करीब तो है पर बेपरवाह हो गयी



kabeer kookar ram ko mutheea maero nao, galae hamarae jaevaree jeh khinchai theh jao... Kabeer, I am the Lord's dog; Moti is my name...There is a chain around my neck; wherever I am pulled, I go.....meaning of doha above



पुरानी बातें भूल जाना चाहता है ...वोह अपना ग़म छुपाना चाहता है ..."मसरूफ" उसकी ख़ामोशी कह रही है ...बिछड़ने का बहाना चाहता है ...



कभी रो भी लिया करो "मसरूफ" , यह नमक ही है जो आखें गला रहा है .....



बिक जायें बाज़ार में हम भी लेकिन उससे क्या होगा, जिस कीमत पर तुम मिलते हो, उतने कहाँ हैं अपने दाम।"



दुआ दीजिए... दुआ लीजिए ये रस्म चलाते रहिए.....ज़िन्दगी में ख़ुशी ही ना हो ... ज़िन्दगी भर मुस्कराते रहिए.......



पलकों पर न टांगो ख्वाब के झालर....आंधियां हैं समाजो की ...अपनी की आँख में चुभ जायेंगे ख्वाब अपने .....



बीती हुयी बातों को कोई दोहराए , बचपन के नाम से भी कभी कोई बुलाये .....!



चांद और मैं अच्छे दोस्त हैं...वोह रात भर निहारता है ...मैं रात भर उसकी नब्ज़ महसूस करता हूँ ...



वहम है जो ,कोई दिल से गुज़र के जा रहा है कोई आया है या कोई उतर के जा रहा है



बिछड़ा है एक बार तो मिलते नहीं देखा, इस ज़ख्म को हमने कभी सिलते नहीं देखा ....



खुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को// बदलते वक्त पे कुछ अपना अख्तियार भी रख''



भूल जाना भी तो एक तरह की नेमत है फ़राज़ ...वरना इंसान को पागल ना बना दे यादें ..



आये तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबाँ, भूले तो यूँ कि जैसे कभी आश्ना न थे



तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है ....तुम्हारी यादों को झोका कई रातें गुज़ार देता है



कहाँ अज़ाब कहाँ क्या सब़ाब होता है,मोहब्बतों में कहीं कोई हिसाब होता है,बिछड़ के मुझसे मुस्कराना मत छोड़ देना,उदास रहनेसे चेहरा खराब होता है



अकेला वारिस हूँ में इतनी सारी जायदाद का ....मेरे हिस्से में सिर्फ नफरतें आई हैं ....



जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़साने में , उम्र भर अपने ही आंसू रहे पैमाने में



इस बदलती हुई दुनिया का खुदा कोई नहीं ...वैसे भी जो अपना था ..वोह अपना था कभी नहीं .....



मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई, ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की



बस एक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है, ये और बात कि मैं समझता हूँ उससे अपने करीब ...सच बात है के मेरा अक्स ही अपनी तलाश मैं है



उसका मिल जाना क्या, न मिलना क्या...हर वक़्त येही कशमकश ..वोह ना जाने किसकी तलाश में है ....



उसकी चूड़ियाँ अब सिर्फ अलमारी के हेंगर में खनकती है ....बातें उसकी फ़ोन पर भी अजनबी सी लगती है



उसकी चूड़ियाँ अब सिर्फ अलमारी के हेंगर में खनकती है ....बातें उसकी फ़ोन पर भी अजनबी सी लगती है



मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला, अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला. #BashirBadr



Baat yeh nahi ke mashooq ke saath jaam piye.. masla sirf itna hai ke woh bhi mujh jitne nashe mein ho.



Yeh mat soch tujhse mulakaat achanak hui hai.. barson khayalaat mein taraasha tha tujhe.



Aaj uske qadmon pe gira dhool ke maanind .jiski aankhon mein main basa karta thaa.....



आदमी का सबसे अच्छा आविष्कार है, डिवाइडर , तुम उस तरफ चलो, मैं इस तरफ चलूँगा !



''दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने 'फ़राज़'// नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर''



आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी,कोई आँसू मेरे दामनपर बिखर जाने दे,ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ कहूँ तुझसे मगर जाने दे



ऐसा तो कुछ नहीं कमाया हम दोनों ने जो खो ना सके ...लम्हे है ..माजी है ....जो बेशकीमती है ...



जी भर के खुशबू ले इन लम्हों की ....सालों बाद येही सूखे हुए फूल बहुत कीमती होंगे .....



है शौक-ए-सफ़र कुछ ऐसा हमको.. मंज़िल भी ना पाई और रास्ता भी ना बदला...



कोई इस घर से यूँ रुख़सत हुआ है दहलाती हूँ मैं लफ्ज़े-रुख़सती से हुए हैं इतने कड़वे तजरिबे कुछ मैं डरती हूँ बहुत मीठी छुरी से



सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं / हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं - मुनव्वर रा



अपने हाथ उलझे हुए रेशम में फंसा बैठें हैं.. तू ही बता.. कौन से धागे को किससे जुदा करें...



हर शख्स में वो ज़ज्बात खोजती है न जाने क्यों उसे लगता है इंसानियत अभी भी जिन्दा है



दुनिया के सारे हक़ , सारे फैसले तेरे मुझे क्या चाहिए इक तेरे सिवा !!



भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में बेख़याली में कई शहर उजड़ जाते हैं



उस की “निगाह” मैं इतना असर था.... #फ़राज़ खरेद ली उस ने एक नज़र मैं ज़िन्दगी हमारी ....



दाम में लाया है "आतिश" सब्जा-ए-ख़त-ए-बुतां / सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो



Main samandar hoon, kahin doob na jaana mujh mein .. Tum ko andaaza nahin meri gehrai ka...



घर की तामीर में हम बरसों रहे हैं पागल , रोज दीवार उठाते थे, गिरा देते थे



हज़ार तल्ख़ हो यादें ....मगर वोह जब भी मिलें ...हवा में उसकी खुशबू से ही मेरे होठ सिले .....



आखें दान करने के फार्म पर बड़े शौक से मैंने लिखा ...जिस देना ,उसे बता देना कुछ ख़ास है ...इंतज़ार में उम्र भर रही है पर झुकी कभी नहीं ...



सुकून और इश्क वो भी दोनों एक साथ , रहने दो मोहसिन कोई अक़्लवाली बात करो ..



उठ-उठ के मसजिदों से नमाज़ी चले गए, दहशतगरों के हाथ में इसलाम रह गया।" - निदा फ़ाज़ली



सुकून और इश्क वो भी दोनों एक साथ , रहने दो मोहसिन कोई अक़्लवाली बात करो ..



जिससे दिल को हो तकलीफ हो वोह काम ना कर ....इश्क है हिम्मत और दिवानावार जज्बे का नाम ....है कहीं जल जाने का डर तो यह काम न कर ....



पतझड़ के पत्ते को अपनी औकात याद रहे ....एक फूल की मुलाक़ात से मुस्तकबिल बदलता नहीं ....



कुछ के हाथ मिलाओ ...कुछ से गले मिलो....जो अर्श से परे हो ....उसको खुदा बना लो ...



एक बेतरतीब ज़िन्दगी , होसले की परछाइयां.....ख्वाब भी हस्ब ए तौफ़ीक़ होने चाहिए ....



बदल ली हैं राहें अब , कदम भी हैं लौट आए.......न जाने क्यों ख्यालों से तेरी आहटें नहीं जातीं !



बचपन में नाना से सुना था ....नंगे के नौ गृह बलवान होते हैं ....कांग्रेस को देख कर विश्वास हो गया ....



चल..चनाब दे कंडे.......कच्‍चे घड़े ते यकीन लिख्‍या जित्‍थे सोहनी ने....चल पढ़ लइये की लिख्‍या ओथे महिवाल ने.



Fall in love for beauty..it will fade..for her status..it will change....fall in love for her sense of righteousness...u have a soulmate



Bliss sees no age .....it is divinity blessed by perseverance. .....



ये बात अलग है के आँखों के बाँध टूट गए ..मगर जुबां से कभी हमने कुछ कहा तो नहीं



गुफ्तगू का आग़ाज़...ख़्वाबों की रजाई ...पलकें क्यूँ बुन लेती हैं ...आखों में तन्हाई



समंदर तेरी लहरों पे कोई इलज़ाम क्यूँ आये ..घरोंदे आरज़ू के बना के हम तोड़ देते हैं ,,,



भ्रम दिल का अगर यूँ तोडना है तोड़ देते हैं ...तुम्हे हम प्यार करना तुम कहो तो छोड़ देते हैं



यूँ जो तकता है आसमान को तू ...कोई रहता हैं आसमान में क्या ...यह मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता ...एक ही शख्स था जहां में क्या ....



उम्र गुजरेगी सारी इम्तेहान में क्या ....दाग ही दिए दान में क्या ....वोह मिले तो यह पूछना है मुझे ....अब भी हूँ तेरी अमान में क्या ..



कोई ज़ख्म अगर भरे तो फिर नया तीर चला दिया करो .....कहीं नींद में कोई ख्वाब न फिर देख लूं ..आते जाते यूँ ही नींद उड़ा दिया करो ..



शर्म, हया , जीघक..परेशानी ....नाज़ से काम क्यूँ नहीं लेती ....आप , वोह , जी , मगर , सुनो ..यह सब क्या है ....तुम मेरा नाम क्यूँ नहीं लेती



तुम्ही शर्त ए तालुक तय करो ..हम क्या बताएँगे ...दरिया और प्यासे में मुजाकरात नहीं होते ...



मेरी सोच को नए आयाम देता है ...तेरा ख्याल मेरा दिल उजाल देता है ..में तुझको सोच के लिखूं ,,,तो यह कलम मेरा ...मेरा हुनर एक नया कमाल देता है



सिलवटों में ढूँढता हूँ, खाबों के शहर का नक्शा नींद के टुकड़े चुना करता हूँ, रात भर पीठ में चुभती रहती है करवट!



ज़िन्दगी उलझ गयी बड़ा बनने की चाहत में, मेरे बिखरे बालों को कैसे आसानी से संवार देती हो माँ?



कुछ इस तरह का सौदा किया वक़्त ने मुझसे ....तजुर्बे दे कर मेरी नादानी छीन ली मुझसे



The tragedy of being born an eternal optimist ...didn't see the "Im" before possible ....



तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है,यह कैसा चैन तुम्हारा ख्याल देता है,बिछड़ के तुमसे यह यकीन हो चला है,के यह इश्क लुत्फ़एसज़ा बेमिसाल देता है



रफू ताउम्र करता रहा अपने ज़ख्मों को..कभी उसको इल्म मेरे हाल का था ..मोहब्बतों में कायल था लब न खुलने का .जवाब वरना मेरे पास हर सवाल का था



पलकों की हद को तोड़ कर मेरे दामन पे आ गिरे ...कुछ आंसुओं ने मेरे सब्र की तोहीन कर दी ....



है मेरा मकसद तेरी इबादत , अज़ाब कैसा.. सब्बाब कैसा ... गिनु क्या तस्बी के मैं दाने ...मोहब्बतों



बातें बुझा दो, कहीं रातें ना जाग जाएँ । यादें बुझा दो, कहीं धड़कने ना जाग जाएँ । में हिसाब कैसा ...मुसर्रत यास्मीन ...



ज़िन्दगी तो अपने क़दमों पर चलती है फ़राज़ ; औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं !



जैसा तन दिख रहा ...वैसा मन कीजिये ..चीनी कम का ना कोई जतन कीजिये ..तीर्थ के दौर में प्रेम करते नहीं ..यह उम्र है भजन की ..भजन कीजिये



हर लम्हा है नया ...रोज़ की नयी जंग से क्या डरना ....ज़िन्दगी का मज़ा रोज़ की कशमकश में है .....जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना ...



गुज़र जायेगी ज़िन्दगी उसके भी बगैर फ़राज़....वोह हसरत ए ज़िन्दगी है ....शर्त ए ज़िन्दगी तो नहीं ..



वोह खुदा है किसी टूटे हुए दिल में रहता होगा ...लोग ढूँढ़ते रहते हैं उसे पहाड़ों और मजारों पे



उसने पुछा मुझे पुरानी बातें भूल क्यूँ जाते ....क्या जाने वोह ...यह सोना है ...यह कभी पुराना नहीं होता ...



मैं खुद ही अपनी तलाश मेरा कोई रहनुमा नहीं है ...वोह क्या दिखाएं राह मुझको जिन्हें कुछ अपना पता नहीं है



कुछ लोगो ने धक्का दिया मुझे डुबाने के लिए ...अंजाम यह हुआ के मैं तैराक बन गया ...

















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