आप यूँ फासलों से गुजरते रहे .........दिल से कदमों की आवाज़ आती रही .....
आहटों से अंधेरे चमकते रहे रात आती रही, रात जाती रही गुनगुनाती रही मेरी तनहाईयाँ दूर बजती रही कितनी शहनाईयां जिंदगी, जिंदगी को बुलाती रही
कतरा कतरा, पिघलता रहा आसमान ......रूह की वादियों में ना जाने कहा एक नदी ..........दिलरुबा गीत गाती रही
आप की गर्म बाहों में खो जायेंगे .........आप की नर्म जानों पे सो जायेंगे .......मुद्दतों रात नींदे चुराती रही
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