An August Ending .....

यूँ ज़िंदगी की राह में , कुछ दूर चलने का शुक्रिया, .......

बहुत कठिन था यह रास्ता , तेरे लौट जाने का शुक्रिया .......

मुझे इल्म है नहीं मिट सकी थी , सब गुफ्तगू की वह तिश्नगी, ……

मिला बस दीद से ही सुकून मुझे , इस मुलाक़ात का भी शुक्रिया ….....

जो उदास हैं तेरी याद में , जिन्हे बोझ लगती है ज़िन्दगी … .....

रोज़ देख कर सर ए बज़्म , तेरा मुहं फेर लेने का शुक्रिया …......

तेरी बातें हर एक भेस में , मेरी सांस और रूह में ढल गयी ,

यह कमाल है तेरी याद का , मुझे याद आने का शुक्रिया ……

मुझे खस्ता हाल सा देख कर , तेरे होंठ फिर से खिल उठे, ……

मुझे ग़म नहीं इस बात का, तेरा मुस्कराने का शुक्रिया ….....

है जो ज़माने भर की रिवायतें , वह उसूल तुमने निभा दिया …..........

यह रस्मे तुम्हे अज़ीज़ हैं , मुझे भूल जाने का शुक्रिया …… ......


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